जनरल इंश्योरेंस इम्प्लाइज कोआपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड लिमिटेड लखनऊ की स्थापना उप निबन्धक सहकारी समितियां उत्तर प्रदेश द्वारा निबन्धन संख्या – 3172 के अर्न्तगत, दिनांक 14 सितम्बर 1978 को की गई थी।  
  
इस समिति की स्थापना श्री एस.आर. सरकार के प्रयत्न से श्री एस.वी.एल. वर्मा, श्री जी.एस. मल्होत्रा एवं अन्य सदस्यों द्वारा कराई गई थी तथा समिति का कार्यालय नेशनल इंश्योरेंस क0 लि0, मंडल कार्यालय-प्रथम, 43, हजरतगंज, लखनऊ में स्थापित किया गया था।  सामान्य बीमा निगम तथा अनुषंगी कंपनियों के वेतन भोगी कर्मचारियों को ही समिति का साधारण सदस्य बनाया जाता है।  अब सामान्य बीमा निगम की अनुषंगी कंपनियां अपना कार्य स्वतंत्र रूप से भारत सरकार के आदेश के तहत कर रही हैं जैसे दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड, इन सभी के वेतन भोगी कर्मचारी ही समिति की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।
   
उद्देश्य:
 
समिति के मुख्य उद्देश्य निम्नवत हैं:-
 
सदस्यों में एकता की भावना, स्वावलंबन और पारस्परिक सहयोग की भावना को प्रोत्साहन देना।
 
सदस्यों की घरेलू सामाजिक और धार्मिक आवश्यकताओं के लिए उचित दर पर ऋण प्रदान करना।
 
समिति के हेतु बचत-सावधि निक्षेपों को तथा अन्य मदों द्वारा धन प्राप्त करना। 
 
सदस्यों में मितव्ययिता की भावना को प्रोत्साहन देना तथा नियमित रूप से सदस्यों में एक नियत धनराशि जमा करने के लिए प्रोत्साहित करना।
 
कार्यक्षेत्र:
 
समिति का कार्यक्षेत्र लखनऊ जनपद है।
 
आरम्भ में समिति उत्तर प्रदेश के कुछ एक जिलों में तैनात साधारण बीमा के वेतन भोगी कर्मचारियों को ही सदस्य बनाती थी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों (जो कि पूर्व में जी.आई.सी. के अधीन थी) दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड के उत्तर प्रदेश स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों तथा उसके आधीन समस्त मंडल कार्यालयों तथा शाखा कार्यालयों में तैनात वेतन भोगी कर्मचारियों को ही सदस्यता प्रदान करने तक सीमित है।  यदि कोई सदस्य स्थानान्तरित होकर उत्तर प्रदेश के बाहर चला जाता है तो वह पूर्व की भांति सदस्य बना रहता है।
 
सदस्यता:
 
नियमानुसार निर्धारित प्रारूप में सदस्यता हेतु समिति के सचिव को प्रार्थना-पत्र देने पर संचालक मंडल द्वारा निर्णय लेकर निर्णय की ‍िदनांक से सदस्यता प्रदान की जाती है। एक समय में एक व्यक्ति केवल एक ही वेतन भोगी समिति का सदस्य बन सकता है।
 
सदस्यता: के आंकड़े
 
वर्ष 1978 में 9 सदस्यों ने मिलकर एक समिति की स्थापना की थी।  यह सदस्यों की संख्या वर्ष 1988-89 में बढ़कर 535 एवं वर्ष 2008-09 में 2001 एवं वर्ष 2013-14 में 2014 हो गयी है।
 
कार्य प्रणाली:
 
अंश धन:
 
एक अंश का मूल्य 10 रू० होगा।  सदस्यता ग्रहण करते समय कुछ अंश (लगभग दस अंश) मूल्य रू० 100/- सदस्य को लेना अनिवार्य होगा।
 
टी.एफ.:
 
बचत की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए आरम्भ में प्रत्येक सदस्य के वेतन में 5/- रू० प्रतिमाह की कटौती की जाती थी जो कि बाद में बढ़कर 20/- रू० प्रतिमाह हो गई थी।  तदोपरान्त  राशि 50/- रू० प्रतिमाह, वर्ष 1995-96 से रू० 100/-प्रतिमाह, नवंबर 2006 से राशि 200/- प्रतिमाह तथा अंशकालिक कर्मचारी सदस्यों से 50/- रू० प्रतिमाह की कटौती की जाती थी जो कि नवंबर 2010 से बढ़कर 400/- रू० और अंशकालिक कर्मचारी सदस्यों से 100/- प्रतिमाह कटौती की जाएगी।  यह धन सदस्यता छोड़ने पर या सेवानिवृत्ति होने पर वापस कर दी जाती है तथा प्रत्येक सहकारिता वर्ष की समाप्ति पर उस वर्ष का ब्याज लाभांश के साथ वितरित कर दिया जाता है।  इस मद में समिति के पास 31 मार्च 2014 तक रू० 6 करोड़ 42 लाख जमा हो गयी है।
 
सावधि जमा:
 
समिति द्वारा सदस्यों की मितव्ययिता की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए सावधि जमा भी स्वीकार किए जाते हैं जिस पर आकर्षक ब्याज दिए जाते हैं।  इस मद में समिति के पास 31 मार्च 2014 को रू० 24.35 करोड़ एकत्रित हो गए हैं।
 
आवर्ती जमा: 
 
बचत की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए आवर्ती जमा आकर्षक ब्याज दर पर समिति द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। इस मद में समिति के पास दिनांक31 मार्च 2014 तक रू० 1.39 करोड़ एकत्रित हो गए हैं।
 
ऋण: 
 
समिति द्वारा अपने सदस्यों को घरेलू सामाजिक एवं धार्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकतम अंशधन के दस गुणा तक ऋण देने का प्रावधान है। परन्तु यह राशि सदस्य के वेतन, कटौतियों को ध्यान में रखकर दी जाती है।  समिति की स्थापना के समय ऋण सीमा सदस्य द्वारा किए गए अंशधन के दस गुणा या सदस्य के सात माह के सकल वेतन या रू० 1000/- जो कम हो से अधिक नहीं थी।  यह सीमा समय-समय पर परिवर्तित होती रही।  अब यह ऋण सीमा  अधिकतम रू० 10 लाख या सदस्य के सकल वेतन के 24 गुणा में से जो भी कम हो तक सीमित है। ऋण स्वीकृत के पूर्व यह देखा जाएगा कि ऋण कटौती के बाद सदस्य के सकल वेतन का 30 प्रतिशत टेकहोम वेतन अवश्य प्राप्त हो।
 
वर्ष 1978-79 के अंत में सदस्यों पर रू० 9325/- ऋण बकाया थे जो वर्ष 1988-89 में रू० 5.09 लाख हो गए।  यह राशि अगले दस वर्षो यानी 1998-99 के अंत में रू० 2.08 करोड़ हो गयी थी तथा यह राशि बढ़कर 31 मार्च 2014 को रू० 44.59 करोड़ हो गयी है।  समिति द्वारा अपने सदस्यों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जीवन बीमा निगम से ग्रुप बीमा आवरण भी वर्ष 2003 से कराया जा रहा था।  सदस्य के आकस्मिक निधन पर उनके आर्थिक भार को बीमा आवरण के माध्यम से कम की जाए इस उददेश्य से बीमा आवरण समिति के द्वारा निरन्तर कराया जा रहा था। अब इसके स्थान पर (ग्रुप बीमा के स्थान पर) व्यापक मृत्यु सहायता निधि की स्थापना की गयी है। 
 
मृत्यु सहायता निधि: 
 
इस वर्ष 2010 में मृत्यु सहायता निधि की स्थापना की गयी थी जिससे मृत सदस्यों के परिवार को अंतिम संस्कार के लिए रू० 3000/- तुरंत उपलब्ध करायी जाती है तथा अधिकतम रू० 1 लाख तक की सहायता भी दी जाती थी। 
    अब इसके स्थान पर व्यापक मृत्यु सहायता निधि की स्थापना की गयी है जोकि निम्नवत है –
 
१.    इस योजना मे सम्मिलित होने वाले नये सदस्यों को तीन माह बाद इस याजना का लाभ देय होगा। यह प्रबिन्ध दुर्घटना मृत्यु की स्थिति मे लाबू नही होगा। (प्रथम चन्दे की किस्त जमा होने पर ही सदस्य योजना में सम्मिलित समझा जायेगा।)
२.    बकाया ऋण आधार पर भी सदस्यो को मृत्यु सहायता का लाभ या जाता है। यह लाभ दिनांक 24.07.2012 के बाद आकस्मिक मृम्यु की स्थिति में मृम्यु तिथि पर कुल बकाया ऋण का 40 प्रतिशत देय होगा अर्थात दिनांक 24.07.2012 के बाद सदस्यों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके बकाया ऋण को 40 प्रतिशत माफ कर दिया जाएगा।
३.    पूर्व में लागू ‍अन्तिम संस्कार हेतु रूपये 3000/- की सहायता भी सदस्यों के आश्रितों को दी जाएगी। जिसका अग्रिम भुगतान सम्बन्धित कार्यालय जहाँ सदस्य नियुक्त था कर दे तथा समिति से मांगपत्र लिखकर प्राप्त कर लें।
 
निजी पूंजी:
 
वर्ष 1988-89 में निजी पूंजी रू० 1.63 लाख थी तदोपरान्त वर्ष 1998-99 में बढ़कर रू० 50.65 लाख हो गई थी जो कि वर्ष 2008-09 के अंत में रू० 328.14 लाख हो गयी अब वर्ष 2013-14 के अंत में रू० 801.28 लाख हो गयी है।
 
 
कार्यशील पूंजी: 
 
वर्ष 1978-79 के अंत में  रू० 10000/- थी, जो कि वर्ष 1988-89 के अंत में रू० 5.09 लाख बढ़कर हो गयी थी।  यह राशि वर्ष 1998-99 में बढ़कर 237.09 एवं वर्ष 2008-09 में 21.89 करोड़ एवं वर्ष 2013-14 में यह राशि 48.01 करोड़ हो गयी है।
 
निजी कार्यालय:
 
समिति ने अपने कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक परिसर अपना स्वयं कार्यालय वर्ष 2005 में क्रय किया है और उसकी साज-सज्जा कराकर समिति कार्यालय को 25 अक्टूबर 2005 से अपने निजी कार्यालय में स्थानान्तरित कर दिया है।  यह परिसर बी.एम.प्लाजा, नवल किशोर रोड, लखनऊ के द्वितीय तल पर स्थित है।
 
नोट: उपरोक्त विवरण संक्षिप्त रूप में सदस्यों के जानकारी हेतु प्रदर्शित है। उक्त प्रदर्शित विवरण विधि मान्य नहीं हैं।  कृपया विधिक जानकारी एवं कार्यवाही हेतु उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 तथा समय-समय पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिवर्तित नियम